बेवफा के लिए वफ़ा सा हूँ

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बेवफा के लिए वफ़ा सा हूँ,
इसलिए खुद से भी ख़फ़ा सा हूँ।

मैं दवा हूँ तो ही तो कड़वा हूँ,
मीठा हो जाऊं तो बद्दुआ सा हूँ।

धीरे-धीरे हुआ है रंग फीका,
जैसे हाथों की मैं हिना सा हूँ।

मुझको रहबर बना के साथ चलो,
मैं मुसाफिर का तजुर्बा सा हूँ।

अली जी