फिर मुकम्मल कहां मुलाकात हुई

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फिर मुकम्मल कहां मुलाकात हुई,
ना तो रब खुश हुआ ना तो बात हुई ,
पंजतन गर नमाज़ो मे शामिल नही,
ना तो सजदा हुआ ना जमात हुई।।

अली जी✍